Happy Lohri
आह! लोहड़ी का नाम लेते ही मन आंगन में खुशियों की फसल लहराने लगती है. ढोल की थाप पर थिरकते पाँव, आग की लपटों में उछलते गुड़ और मक्के, गीतों की मधुर स्वर लहरियाँ - ऐसा है हमारा लोहड़ी का त्योहार. लेकिन क्या आप जानते हैं कि सिर्फ मस्ती-मौज ही नहीं, लोहड़ी भारतीय संस्कृति का एक अनमोल धरोहर है, जो पीढ़ियों से हमें अपनी जड़ों से जोड़े हुए है?
आग की पवित्रता का जश्न: लोहड़ी की आग सिर्फ ठंड को भगाने का जरिया नहीं है, बल्कि बुराई पर अच्छाई की विजय का भी प्रतीक है. इस पवित्र अग्नि में हम पुराने कचरे को जलाकर नई शुरुआत का संकल्प लेते हैं. यह आग negativity को जलाकर positivity के उजाले को फैलाती है.
खेतों और किसानों का सम्मान: लोहड़ी का त्योहार फसल कटाई के बाद मनाया जाता है. नए साल की पहली फसल को समर्पित यह पर्व, किसानों के परिश्रम का सम्मान प्रकट करता है. आग में डाले जाने वाले गुड़ और मक्के फसल के शुक्राना हैं, यह किसानों को धन्यवाद कहने का खास तरीका है.
समुदाय की एकता का प्रतीक: लोहरी एक ऐसा त्योहार है जो हर जाति, धर्म और वर्ग के लोगों को एक साथ लाता है. आग के चारों ओर इकट्ठा होकर, ढोल की थाप पर थिरककर, खुशियाँ बाँटकर हम आपस में भाईचारे का भाव मजबूत करते हैं. यह सामाजिक सद्भावना और एकता का सच्चा उत्सव है.
नई पीढ़ी को संस्कृति से जोड़ने का जरिया: लोहड़ी की परंपराओं को पीढ़ी-दर-पीढ़ी आगे बढ़ाना बेहद जरूरी है. यह त्योहार हमारे बच्चों को अपनी संस्कृति से जुड़ने, रीति-रिवाजों को समझने और उन्हें आगे बढ़ाने का मौका देता है. गीत, कहानियां और अनुभव साझा करके हम भारतीय संस्कृति की विरासत को सुरक्षित रख सकते हैं.
तो इस साल लोहड़ी के खूबसूरत त्योहार में सिर्फ मौज-मस्ती ही नहीं, बल्कि इसके सांस्कृतिक महत्व को भी उजागर करें. आग जलाएं, गुड़ और मक्के का भोग लगाएं, ढोल की थाप पर नाचें और अपने प्रियजनों के साथ मिलकर भारतीय संस्कृति की खुशियों को मनाएं.
हैप्पी लोहड़ी!