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Thursday, 25 April, 2024
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चीन में रह रहे आखिरी भारतीय पत्रकार को भी नहीं मिला वीज़ा, चीनी प्रवक्ता बोलीं- और कोई विकल्प नहीं

चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा था कि भारत सरकार ने चीन के पत्रकारों के वीजा की अवधि बेवजह कम की है और मई 2020 के बाद से वीजा जारी नहीं किए हैं.

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नई दिल्ली: समाचार एजेंसी ब्लूमबर्ग ने सोमवार को बताया कि बीजिंग के अधिकारियों ने देश के आखिरी भारतीय पत्रकार, प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (पीटीआई) के एक रिपोर्टर को महीने के अंत तक चीन छोड़ने के लिए कहा है.

दोनों देशों के बीच बढ़ते मनमुटाव के बीच वीज़ा रिन्यू करने से मना करना चीन से सभी चार भारतीय पत्रकारों के प्रस्थान का प्रतीक है.

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, हिंदुस्तान टाइम्स के एक रिपोर्टर ने इस वीकेंड चीन छोड़ दिया, जबकि सार्वजनिक प्रसारक प्रसार भारती और द हिंदू के दो भारतीय पत्रकारों का वीजा अप्रैल में खत्म होने के बाद उसे रिन्यू नहीं किया गया.

मई में भारत सरकार ने चीन के सरकारी मीडिया संस्थानों के लिए काम करने वाले दो पत्रकारों को वीज़ा देने से इनकार कर दिया था. इनमें से एक शिन्हुआ न्यूज़ एजेंसी के लिए काम करते हैं जबकि दूसरे चीनी सेंट्रल टेलीविजन के लिए.

पिछले महीने, चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा था, ‘‘भारत में चीन का पत्रकार है, जो अपने वीजा के रिन्यू होने का इंतज़ार कर रहा है. इससे पहले भारत ने शिन्हुआ न्यूज़ एजेंसी और चाइना सेंट्रल टेलीविजन के दो पत्रकारों के वीजा रिन्यू करने के आवेदनों को खारिज कर दिया था.’’

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विदेश मंत्रालय ने कहा था कि भारत सरकार ने चीन के पत्रकारों के वीजा की अवधि बेवजह कम की है और मई 2020 के बाद से वीज़ा जारी नहीं किए हैं.

माओ ने कहा, ‘‘भारत में आखिरी बचे चीनी पत्रकार का वीजा भी खत्म हो गया है. हमारे पास अब उचित कार्रवाई करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था.’’

इससे पहले हिंदू के एक पत्रकार अनंथ कृष्णन ने ट्विटर पर लिखा था, ‘‘बताते हुए दुख हो रहा है कि सुतीर्थ पत्रनबीस ने बीजिंग छोड़ दिया है. अप्रैल के बाद प्रभावी रूप से देश से जाने वाले तीसरे भारतीय रिपोर्टर, जब अंशु और मेरा वीजा को फ्रीज कर दिया गया था. हिंदुस्‍तान टाइम्‍स के लिए पिछले 11 वर्षों में चीन से एक्सक्लूजिव और ज्ञानवर्धक खबरों की कमी खलेगी और इससे भी बढ़कर उनकी कंपनी.’’

उन्होंने आगे लिखा, ‘‘अब, केवल पीटीआई के एक भारतीय संवाददाता, चीन में रहते हैं, और शिन्हुआ के एक रिपोर्टर भारत में वीजा रिन्यु होने का इंतज़ार कर रहे हैं, क्योंकि भारत में कई चीनी पत्रकारों ने अपने वीजा को रिन्यु नहीं कराया था. यह कितान दुर्भाग्यपूर्ण है कि जल्द ही चीन में कोई भारतीय पत्रकार नहीं होगा और इसके विपरीत – एक दुखद स्थिति जो, मैं समझता हूं, 1962 के युद्ध के दौरान भी नहीं थी.’’

माओ ने कहा कि भारत ने उनके पत्रकारों के साथ बरसों से अन्यायपूर्ण व्यवहार किया है.

उन्होंने कहा, ‘‘चीनी पत्रकारों के साथ वर्षों से भारत में अन्यायपूर्ण और भेदभाव भरा व्यवहार होता रहा है. 2017 में भारत ने बिना किसी वजह से चीन पत्रकारों की वीजा अवधि घटाकर तीन महीने और यहां तक कि एक महीने तक कर दी. भारत की तरफ से लगातार किए जा रहे दमन के जवाब में चीन को उचित कार्रवाई करनी पड़ी ताकि चीनी मीडिया के अधिकारों और हितों की रक्षा की जा सके.’’

माओ ने कहा कि सामान्य स्थिति में वापसी का दारोमदार भारत पर है. उन्होंने कहा, ‘‘यह इस बात पर निर्भर करता है कि भारत चीन के साथ एक ही दिशा में काम कर सकता है या नहीं और चीनी पत्रकारों को भारत में मदद और सुविधाएं उपलब्ध करवा सकता है या नहीं.’’

भारत के विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि उन्हें उम्मीद है कि बीजिंग भारतीय पत्रकारों को चीन में काम करना जारी रखने की अनुमति देगा और कहा कि नई दिल्ली सभी विदेशी पत्रकारों को भारत में काम करने की अनुमति देता है.

भारतीय बयान के दो दिन बाद चीन ने कहा कि उसने चीनी पत्रकारों के साथ भारत के व्यवहार के जवाब में ‘‘उचित’’ कार्रवाई की थी.

भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने रॉयटर्स से कहा, ‘‘चीनी पत्रकारों सहित सभी विदेशी पत्रकार भारत में बिना किसी सीमा, रिपोर्टिंग या मीडिया कवरेज में कठिनाइयों के बिना अपना काम कर रहे हैं.’’

बागची ने कहा, ‘‘इस बीच, चीन में भारतीय पत्रकार कुछ कठिनाइयों के साथ काम कर रहे हैं, जैसे स्थानीय लोगों को संवाददाता या पत्रकार के रूप में नियुक्त करने की अनुमति नहीं दी जा रही है.’’

बताया गया है कि चीन में काम करने वाले भारतीय पत्रकारों को स्थानीय संवाददाताओं को काम पर रखने या यहां तक कि स्थानीय यात्रा करने से भी रोक दिया गया था.

गौरतलब है कि दोनों एशियाई आर्थिक महाशक्तियों, बीजिंग और नई दिल्ली के बीच संबंध 2020 में उनके साझा हिमालयी सीमा पर एक सैन्य संघर्ष के बाद से बिगड़ने लगे हैं, जिसमें 20 से अधिक सैनिक मारे गए थे. जबकि चीन ने उस विवाद को समग्र संबंधों से दूर रखने और व्यापार और आर्थिक संबंधों पर ध्यान केंद्रित करने की कोशिश की है, भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि जब तक सीमा मुद्दे का समाधान नहीं हो जाता तब तक संबंध सामान्य नहीं हो सकते. इस बीच दोनों देशों के बीच 18 दौर की वार्ता हो चुकी है.


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