आपकी खुशियों की राह में बाधा बनती हैं ये भावनाएं, इन्हें जितना जल्दी हो सके खुद से दूर कर दें

एक बच्चे के मन की तुलना भगवान की शुद्धता से की जाती है। क्योंकि उसके मन में किसी भी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा या सोच नहीं होत। ब्च्चे वही कहते हैं जो बात उनके मन मे होती है और वही उनकी हरकतों में भी नजर आता है। लेकिन जैसे-जैसे हम बड़े होते हैं, हम खुद पर कई ऐसी भावनाएं लाद लेते हैं जो मन और आत्मा को बोझिल कर देती हैं।

हाइलाइट्स

  • हम यह भूल जाते हैं कि दुनिया में सब कुछ अस्थायी और नश्वर है।
  • मन में बसे अपराधबोध की भावना आपके व्यक्तित्व को दबा देती है
  • नकारात्मक सोच आशाओं और उम्मीदों को खत्म कर देता है।
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आपकी खुशियों की राह में बाधा बनती हैं ये भावनाएं
आपकी खुशियों की राह में बाधा बनती हैं ये भावनाएं

एक ओर हम गलत-सही का फर्क भूलकर समाज के नजर से हम इस दुनिया को देखने लगते हैं वहीं दूसरी ओर अहंकार, लालच, हीनभावना, ईर्ष्या जैसी भावनाओं से खुद को दूषित भी कर लेते हैं। मस्तिष्क की शुद्ध सोच को कहीं दबाकर इस प्रकार हम खुद को शांति, शुद्धता और अध्यात्मिकता से दूर कर लेते हैं और हमारी असली पहचान कहीं खो जाती है।




ऐसे और भी कई कारण हैं जो आपके अंदर की रोशनी को आप तक पहुंचने नहीं देती और ब्रह्मांड के अलौकिक शक्तियों के सानिध्य से दूर देती है। यही वो काराण भी हैं जो जीवन में अंतत: आपको वास्तविक खुशी और सफलता से दूर करते हैं। आइये जानते हैं वो कारण जो आपके व्यक्तित्व को संपूर्ण होने से रोकते हैं। इन्हें अभी खुद से दूर करें।





नश्वर चीजों के प्रति मोह


लगाव या मोह ही सारे दुखों का कारण है। हम यह भूल जाते हैं कि दुनिया में सब कुछ अस्थायी और नश्वर है। इन चीजों पर अपना अधिकार जमाकर हम खुद को अहंकारी और लालची बना लेते हैं। इसलिये आवश्यक है कि आप इस भावना का त्याग करें ताकि दुनिया को एक नये नजरिए से देख सकें और खुद में बदलाव ला सकें।




अपराधबोध की भावना


मन में बसे अपराधबोध की भावना आपके व्यक्तित्व को दबा देती है और आपमें बसी सकारात्मकता को खत्म कर देती है। ऐसी अवस्था में आप एक सीमित दायरे में रहकर सोचने लगते हैं। अगर अपने व्यक्तित्व को नई पहचान देनी है तो खुद को इस बोझ से हल्का करें।


स्वयं की आलोचना



कई बार हम हीनभावना से ग्रसित होकर खुद की आलोचना करने लगते हैं। पर आपका ऐसा करना आपमें आत्मसम्मान की भावना को दबा रहा है। इससे आपकी मानसिक दशा भी प्रभावित होती है। खुद की आलोचना करने से बेहतर है कि कुछ समय के लिए खुद को निष्क्रिय रखें।


पूर्वाग्रह


पूर्वाग्रह हमारी सोच को बाधित करती है और हमें अच्छे संबंध बनाने से रोकती है। यह एक प्रकार की मानसिक बीमारी है जिससे प्रभावित होकर हम लोगों को आंकना या उनकी तुलना करना शुरु कर देते हैं। कोशिश करें कि आप इस भावना से दूर रहें ताकि अच्छी संगति को बढ़ावा मिले।


नकारात्मक और बाध्यकारी सोच


नकारात्मक सोच आशाओं और उम्मीदों को खत्म कर देता है। ऐसे में लोग चीजों को एक सीमित दायरे में रहकर सोचने लगते हैं जिससे हम उस चीज की उपयोगिता की कई पहलुओं से अंजान रह जाते हैं। बाध्यकारी विचार भी हमारी रचनात्मक सोच को प्रभावित करते हैं।


दूसरों के नजरिए से खुद को देखना


कई बार हम दूसरों की पसंद को अपनी पसंद बना लेते हैं। ऐसा करने से आप अपनी महत्ता कम कर रहे हैं और यह आपमें हीनता की भावना ला देता है। इसलिए खुद की सोच और राय को भी मौका दें और दिमाग से ये बात निकाल दें कि आप किसी से कम हैं।



चिंता और बुरी यादों से खुद को मुक्त करना


चिंता और बुरी यादें आपके दिमाग में डर और शंकाओं को जन्म देती हैं। यह पूरी तरह आपके सोच को काबू में कर लेती है। जीवन में आगे बढ़ना चाहते हैं तो खुद को इन भावनाओं से मुक्त कीजिए।


बुरी संगति


कहा गया है कि एक खराब फल पूरी टोकरी को सड़ा देता है। ठीक उसी प्रकार एक बुरी संगति आपकी सारी सकारात्मकता को नष्ट कर देती है। यह सच है कि हमें सभी प्रकार के लोगों से दोस्ती करनी चाहिए ताकि अलग-अलग प्रकार के लोगों के साथ रहते हुए अलग-अलग प्रकार के अनुभव मिल सकें लेकिन बुरी संगति से हमेशा बचें। यह आपके जीवन की गुणवत्ता को नष्ट कर देती है।


खुद को एक विशेष भूमिका में देखना


अगर आप खुद को सिर्फ किसी एक कार्य के लिए बेहतर समझते हैं, इसका अर्थ है कि आप खुद को सीमित दायरे में बांध रहे हैं। इस प्रकार आप एक ही तरह की भूमिकाएं बार-बार निभाने लगते हैं। ऐसा करने से आपके व्यक्तित्व के दूसरे पहलुओं पर प्रश्नचिन्ह लग जाता है। इसलिए शीघ्रता से इसका त्याग करें।


बेकार की प्रथाओं का त्याग


उन सभी मानसिक रुकावटों को खत्म कर दें जो आपकी रचनात्मक सोच और सृजन में बाधा बनती है। सीमित समय में कोई टारगेट पूरा करना, समय की कद्र करना आवश्यक है लेकिन उसके कारण खुद पर बेहवजह का दबाव डालना और अपनी व्यक्तिगत आजादी से समझौता करना खुद के साथ नाइंसाफी होगी।

लेखक के बारे में

तमन्ना जटवानी पिछले 12 वर्षों से सक्रिय लेखन से जुड़ी हैं। उन्होंने अपने कॅरियर की शुरुआत ऑल इण्डिया रेडियो में प्रोडक्शन असिस्टेंट के रूप में की थी और बहुत ही जल्द उन्होंने डिजिटल मीडिया में काम करना आरंभ कर दिया। कॅरियर के शुरुआती समय में उन्होंने राजनीति, समाज, लाइफस्टाइल के साथ ज्वलंत मुद्दों पर काफी तार्किक और बेहतरीन लेख लिखे। लेखन के अलावा उन्हें नए-नए विषयों को समझने और उन पर रिसर्च करने में भी गहरी रुचि है।जहां तक हॉबीज की बात है तो तमन्ना घूमने-फिरने और मौज-मस्ती करने की शौकीन हैं, उन्हें फैमिली के साथ आउटिंग करना बहुत पसंद है। इसके अलावा म्यूजिक और रीडिंग का भी उन्हें क्रेज है। स्पीकिंग ट्री के साथ वे पिछले 9 वर्षों से जुड़ी हैं। इस प्लेटफॉर्म पर आकर उन्होंने लेखन की नई शैली विकसित की है। फिलहाल वे आध्यात्मिक विषयों पर लिख रही हैं।

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