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क्या सरकार स्कूल कॉलेजों में टीचर की जगह AI ला सकती है? आखिर हाईकोर्ट ने क्यों पूछा ये सवाल

Authored byरत्नप्रिया | नवभारतटाइम्स.कॉम | 3 Apr 2024, 8:58 am

AI in place of Teachers in Schools, Colleges: हर जगह तकनीक का इस्तेमाल बढ़ रहा है। ऐसे में जीओ 76 मामले की सुनवाई के दौरान आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने पूछा- क्या सरकार शिक्षकों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से बदल सकती है? ये सवाल क्यों आया? मामला क्या है? पढ़िए शिक्षा पर आज की ताजा खबर।

AI Teacher in Schools Colleges
टीचर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (सांकेतिक फोटो)
क्या सरकार स्कूल-कॉलेजों शिक्षकों की जगह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) को ला सकती है? क्या किसी नर्सिंग सुपरिंटेंडेंट को सर्जन के रूप में नियुक्त किया जा सकता है? क्या ऐसा कोई उदाहरण है जहां लाइब्रेरियन और शारीरिक शिक्षा निदेशकों ने IITs, IIMs और मेडिकल कॉलेजों जैसे संस्थानों का नेतृत्व किया हो? ये सवाल हाईकोर्ट ने पूछे हैं। जब बेंच के सामने तकनीक को प्राथमिक शिक्षण उपकरण मानने की बात रखी गई।

हाईकोर्ट ने ये सवाल तब उठाए जब आंध्र प्रदेश के प्रधान शिक्षा सचिव प्रवीण प्रकाश GO 76 के पक्ष में अपनी बात रख रहे थे। वो जीओ 76 जिसके तहत दिया गया एक आदेश विवादों से घिरा है। जानिए ये क्या है और विवाद किस बात पर है?

क्या है GO 76 का मामला?

दरअसल, जीओ 76 के तहत राज्य के जूनियर कॉलेजों में लाइब्रेरियन और फिजिकल एजुकेशन डायरेक्टर्स को कॉलेज प्रिंसिपल के पद पर प्रमोशन देने का आदेश दिया गया है। जब इसका विरोध हुआ और मामला Andhra Pradesh High Court पहुंचा, तो प्रिंसिपल सेक्रेटरी (एजुकेशन) प्रवीण प्रकाश ने अपनी दलील में कहा कि यह डिग्री कॉलेजों में पालन की जाने वाली प्रथाओं के अनुरूप है।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि प्रधानाचार्यों का काम बजाय शैक्षणिक कार्यों को संभालने के प्रशासनिक कार्यों की देखरेख करना है। उन्होंने कहा कि पदोन्नत किए जाने वाले लेक्चरर भी सिर्फ एक विषय के विशेषज्ञ होते हैं और अन्य विषयों का व्यापक ज्ञान नहीं रखते।

इसके अलावा, प्रवीण प्रकाश ने अदालत को शिक्षा में राज्य सरकार द्वारा डिजिटल तकनीक के व्यापक इस्तेमाल के बारे में भी बताते हुए सरकार के GO-76 आदेश का बचाव किया।

लेकिन, जस्टिस जी नरेंद्र और जस्टिस एन हरिनाथ की बेंच ने इन तर्कों को स्वीकार नहीं किया। बल्कि उन्होंने ऐसी नीति के प्रभावों पर चिंता जताई। बेंच ने विभिन्न क्षेत्रों में अनुभव को समान मानने के तर्क पर भी सवाल उठाया। अदालत ने चिंता जताई कि शैक्षणिक विशेषज्ञता के बिना लोगों को प्रिंसिपल के रूप में नियुक्त करने से शिक्षा के स्तर में गिरावट आ सकती है। पूरी शिक्षा प्रणाली पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

'लाइब्रेरियन, शारीरिक शिक्षा निदेशक के प्रमोशन के खिलाफ नहीं'

वहीं, अदालत ने यह स्पष्ट किया कि बेंच Librarian और Physical Education Directors को प्रमोट करने के खिलाफ नहीं है। सुझाव दिया कि इन्हें बजाय प्रिंसिपल के रूप में नियुक्त करने के, उन्हें अतिरिक्त नॉन टीचिंग पदों का सृजन करके उच्च वेतन दिया जा सकता है।

इसपर सीनियर अधिकारियों के साथ चर्चा करने के लिए Praveen Prakash ने समय मांगा। जीओ 76 पर अगली सुनवई 18 अप्रैल को होगी।
रत्नप्रिया
लेखक के बारे में
रत्नप्रिया
रत्नप्रिया जर्नलिज्म के क्षेत्र में 8 साल से ज्यादा का अनुभव रखती हैं। दैनिक भास्कर से अपने करियर की शुरुआत करके पहले 4 साल प्रिंट मीडिया में राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय और ह्यूमन एंगल की खबरों पर काम किया। फिर डिजिटल मीडिया में कदम रखा। इन्हें अमरउजाला.कॉम, टीवी9 भारतवर्ष डिजिटल और नवभारतटाइम्स.कॉम में एजुकेशन-जॉब/ करियर सेक्शन लीड करने का अनुभव है। इसके अलावा इन्होंने दूरदर्शन बिहार में लाइव शो इंटरव्यू और प्रोग्राम एंकर के तौर पर भी काम किया है।... और पढ़ें
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