भगवान सूर्य के रथ के हर घोड़े के नाम से जुड़ी हैं कुछ शक्तियां, जानिए क्या है इन सात घोड़ों का महत्व

हम सबने जहां कहीं भी भगवान सूर्य की तस्वीर या मूर्ति देखी है, उसमें हमने उन्हें एक पहिये के रथ पर साथ घोड़ों के साथ सवार देखा है लेकिन क्या आप जानते हैं कि रथ में केवल सात घोड़े और रथ में एक ही पहिया क्यों है? आखिर क्या है इन सात घोड़ों और इस एक पहिये का रहस्य?

हाइलाइट्स

  • भगवान सूर्य के रथ में सात ही घोड़े क्यों हैं?
  • इन सात घोड़ों से कौन सी शक्तियाँ जुड़ी हैं?
  • सभी सात घोड़ों का रंग अलग-अलग क्यों हैं?
  • किन चीजों का प्रतीक हैं ये सात घोड़े?
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भगवान सूर्य के रथ और सात घोड़ों का महत्व
भगवान सूर्य के रथ और सात घोड़ों का महत्व
हिंदू धर्म में भगवान सूर्य नवरत्नों के राजा कहे जाते हैं। उनके पास एक ऐसा रथ है जिसमें केवल एक ही पहिया है लेकिन उसे 7 घोड़े खींचते हैं। भगवान सूर्य का रथ अरुणदेव चलाते हैं। वो भले ही रथ चलाते हैं लेकिन उनका मुख हमेशा भगवान सूर्य की ओर मुड़ा रहता है। सूर्य भगवान के रथ में सात ही घोड़े हैं क्योंकि ये सातों घोड़ों सूर्य भगवान द्वारा इस सृष्टि के संतुलन के काम में न केवल सहयोग करते हैं बल्कि इन सातों के नाम से इनके उस सहयोग की व्याख्या भी होती है क्योंकि इनके अंदर विशेष गुण और शक्तियां हैं। ये सारे घोड़े अलग-अलग रंग के हैं जो अलग-अलग बातों का प्रतीक हैं। मूलत: ये घोड़े इस रथ से सूर्य भगवान को पूर्व से पश्चिम ले जाने का काम करते हैं। तो, चलिए पहले जानते हैं इन घोड़ों के नाम, इनसे जुड़ी शक्तियां और अर्थ –

1. पहले घोड़े का नाम है गायत्री, जो अनुशासन और सख्ती का प्रतीक है।
2. दूसरा घोड़ा है भ्रांति, जो गति और शक्ति को प्रदर्शित करता है।


3. तीसरा घोड़ा है उस्निक, जिसे बल और साहस का प्रतीक माना जाता है।
4. चौथा घोड़ा है जगति, जो पराक्रम और वीरता का प्रतीक है।
5. पाँचवा घोड़ा है त्रिस्तप, जो ज्ञान और विद्या का प्रतीक है।
6. छठा घोड़ा है ‘अनुस्तप’, जो बुद्धि और समझदारी का प्रतीक है।
7. सातवां और आखिरी घोड़ा है पंक्ति, जो स्वर्ग में नेतृत्व को बताता है।



किन चीजों का ये सात साथ घोड़े हैं प्रतीक
1. कूर्म पुराण के अनुसार सूर्यदेव के रथ में जुते हुए ये सात घोड़े अलग-अलग ग्रहों को ऊर्जा प्रदान करते हैं। वायु पुराण के अनुसार, सूर्य देव के ये सात घोड़े अलग-अलग रश्मियों का प्रतीक हैं और ये सात घोड़े अथवा रश्मियां ग्रहों तथा रत्नों का पोषण करती हैं। इन सात रश्मियों के नाम हैं- सुषुम्ना, हरिकेश, विश्वकर्मा, विश्वश्रवा, संयद्वसु, अर्वाग्वसु तथा स्वराट। इनमें से जो प्रथम सुषुम्ना नामक रश्मि है, उससे सूर्यदेव स्वयं ऊर्जा प्राप्त करते हैं और ऊर्जा का अखंड स्रोत बने रहते हैं।


2. सूर्यदेव के घोड़े सात अलग-अलग रंगों के हैं जो इंद्रधनुष के सात रंगों को दर्शाते हैं।
3. कई बार सूर्य भगवान की मूर्ति में रथ के साथ केवल एक घोड़े पर सात सिर बनाकर मूर्ति बनाई जाती है जिसका अर्थ है कि केवल एक शरीर से ही सात अलग-अलग घोड़ों की उत्पत्ति होती है।
4. कुछ पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ये सात घोड़े सप्ताह के सात दिनों का भी प्रतीक हैं।
अगर सूर्यदेव के रथ की बात की जाये, तो रथ के में सिर्फ एक ही पहिया लगा है जिसमें 12 तिल्लियां लगी हुई हैं। रथ में केवल एक ही पहिया होने का भी एक कारण है और वह यह है कि यह पहिया समयकाल को दर्शाता है। एक पहिया एक वर्ष को दर्शाता है और उसकी 12 तिल्लियां एक वर्ष के 12 महीनों का वर्णन करती हैं।

लेखक के बारे में

कंटेंट क्रिएशन व मार्केटिंग के क्षेत्र में चंदा कुमारी का लगभग 12 वर्षों का कार्यानुभव है। हालांकि, इस दौरान उनके रचनात्मक व्यक्तित्व ने उन्हें लेखन के क्षेत्र में भी सक्रिय रखा है। एक जिज्ञासु के तौर पर अध्यात्म और दर्शन में उनकी विशेष रुचि रही है और यही वजह है कि इसके विविध पहलुओं को समझने का प्रयास करते हुए, एक लेखिका के रूप में वह उस दृष्टिकोण को एक सरल भाषा में लोगों से साझा करने का प्रयास कर रही हैं। उनकी कोशिश है कि अपनी लेखनी के माध्यम से खुद की जिज्ञासा के साथ-साथ लोगों की जिज्ञासा को भी समझें और उससे जुड़े जवाब उनके सम्मुख प्रस्तुत कर पाएँ। रचनात्मक कार्यों में अपने रुझान को एक माध्यम देने के लिए वो लेखनी के अलावा वीडियो तथा ऑडियो विजुवल्स के कार्यों से भी जुड़ी रही हैं। साथ ही साथ फिक्शन साहित्य से भी उनका गहरा लगाव है।

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