सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने गुरुवार को वेदांता (Vedanta) की तमिलनाडु के थूथुकुडी में कॉपर प्लांट में कामकाज दोबारा शुरू करने की याचिका को खारिज कर दिया. शीर्ष अदालत ने ये भी कहा कि हाईकोर्ट में इसका आकलन हुआ था जिसमें कोई गलती नहीं पाई गई. उसके मुताबिक हाईकोर्ट के फैसले में दखल देने की जरूरत नहीं है.
उसने कहा कि बार-बार उल्लंघनों और उनकी गंभीरता को देखते हुए अथॉरिटीज और हाईकोर्ट के पास कोई दूसरा रास्ता नहीं बचता है. इस कोर्ट ने देश के एसेस्ट्स में वेदांता के योगदान का पहले ही जिक्र किया था. हालांकि कोर्ट को अन्य सिद्धांतों को ध्यान में रखना होगा. जैसे सस्टेनेबल डेवलपमेंट का सिद्धांत और उसका उल्लंघन करने वाले को भरपाई करनी होगी.
कोर्ट ने जिक्र किया कि क्षेत्र में रहने वाले लोगों का स्वास्थ्य और भलाई सबसे ज्यादा चिंता का विषय हैं. राज्य सरकार उनकी चिंताओं को कम करने और उनकी सुरक्षा के लिए जिम्मेदार है. कुछ चिंताओं का जिक्र करते हुए कोर्ट ने कहा कि वेदांता ने कॉपर स्लैग को नहीं हटाया और उसे साइट के करीब 11 जगहों पर इसे डालना पड़ा.
वेदांता को इस खतरनाक चीज के डिस्पोजल के लिए अथॉरिटीज से मंजूरी हासिल नहीं कर पाई थी. हालांकि शीर्ष अदालत ने कहा कि वेदांता को इसके लिए कई अवसर मिले थे, मगर वो समय पर इस कॉपर स्लैग को नहीं हटा पाई और लोगों को इससे स्वास्थ्य संबंधी शिकायतें हुईं.
इसी वजह से कोर्ट ने कहा कि मद्रास हाई कोर्ट का 2020 का आदेश जिसमें प्लांट को बंद करने का आदेश दिया गया था, उसमें दखल देने की कोई जरूरत नहीं है. पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने एक एक्सपर्ट पैनल बनाने पर विचार किया था जो इस पर विचार करता कि प्लांट को दोबारा खोला जा सकता है या नहीं.