श्रीमद्भागवत गीता में छप चुकी है इस युवती के हाथों से बनी पेंटिंग, कई मंचों पर लहरा चुकी हैं परचम
मीनाक्षी बताती है कि वह राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में भाग ले चुकी है. हाल ही में दिल्ली में आयोजित ...अधिक पढ़ें
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मो. सरफराज आलम/ सहरसा. पेंटिंग के क्षेत्र में बिहार में कलाकारों की कोई कमी नहीं है. ऐसे में कोसी इलाके में भी आपको कई ऐसे होनहार कलाकार मिल जाएंगे, जिनकी कला देखकर आप भी दंग रह जाएंगे. आज हम आपको एक ऐसी ही कहानी बताने जा रहे हैं. दरअसल, सहरसा जिला मुख्यालय के कायस्थ टोला की रहने वाली मीनाक्षी पेंटिंग के क्षेत्र में खूब नाम कमा रही है. राष्ट्रीय से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में परचम लहराने वाली मीनाक्षी आज किसी परिचय की मोहताज नहीं है.
मीनाक्षी की सफलता यहीं तक नहीं रुकी है, बल्कि मीनाक्षी के हाथों की बनी पेंटिंग श्रीमद्भागवत गीता जैसी धार्मिक किताबों के पन्नों पर भी छप रही है. हाथों की बनी मिथिला की पेंटिग छप चुकी है. इसके अलावा ‘खाली हाथ लौट आता हूं’ जैसे महात्मा बुद्ध तथा ‘अम्रपाली’ की कहानी की किताब पर भी मीनाक्षी के हाथों से बनी पेंटिंग को दर्शाया गया है, जो जिले के लिए एक गौरव की बात है. मीनाक्षी बताती है कि वह बचपन से ही पेंटिंग करती आ रही है, जो लोगों को भी खूब पसंद आता है. मीनाक्षी अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता, गुरुजनों और शशि सरोजिनी रंगमंच सेवा सस्थान के कुंदन सर को देती है.
अब बच्चों को भी सीखा रही पेंटिंग बनाना
जानकारी देते हुए मीनाक्षी बताती हैं कि वह राष्ट्रीय से लेकर अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग ले चुकी है. हाल ही में दिल्ली में अंतरराष्ट्रीय पेंटिंग प्रतियोगिता आयोजित हुई थी, जिसमें 30 देशों के 700 कलाकारों को चयनित किया गया था. इसमें मीनाक्षी की पेंटिंग भी शामिल थी. वहीं उनकी पेंटिंग की खूब चर्चा हुई. इसी का नतीजा है कि आज उनकी पेंटिंग कई किताबों पर छप चुकी है. मीनाक्षी बताती हैं कि वह बच्चों को भी चित्रकारी का गुण सीखा रही है. अभी फिलहाल 50 से 70 बच्चों उससे पेंटिंग बनाना सीख रही है. ये बच्चे भी आने वाले दिनों में प्रतियोगिताओं में भाग लेंगे.
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