Janmashtmai 2024 - जानें 2024 में मासिक कृष्ण जन्माष्टमी व्रत की तारीख

  • 2023-12-05
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भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रप्रद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हुआ था। हिन्दू धर्म में हर साल यह दिन श्री कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। बाल गोपाल के भक्त धूमधाम से भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव की खुशियां मनाते हैं। कृष्ण भगवान की पूजा अर्चना करने के लिए हर महीने मासिक कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है।

 

मासिक कृष्ण जन्माष्टमी जनवरी 2024

हिन्दू धर्म में भगवान श्री कृष्ण की पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है। हिन्दू केलेंडर/Hindu Panchang के अनुसार, हर महीने मासिक जन्माष्टमी मनाई जाती है। इस माह मासिक कृष्ण जन्माष्टमी 3 मार्च 2024, रविवार को मनाई जाएगी। मासिक कृष्ण जन्माष्टमी के दिन लड्डू गोपाल की साधना करने या उनका उपवास करने से जीवन में सुख समृद्धि होती है और संतान सुख की प्राप्ति होती है।

 

श्री कृष्ण जन्माष्टमी 2024

भाद्रप्रद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है। भगवान श्री कृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में मध्य रात्रि मथुरा में हुआ था। साल 2024 में कृष्ण जन्माष्टमी 26 अगस्त, सोमवार को मनाई जाएगी। इस दिन श्री कृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा की जाती है।

 

मासिक श्री कृष्ण जन्माष्टमी तिथियां 2024

हर महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मासिक जन्माष्टमी मनाई जाती है। ऐसी मान्यता है कि भगवान विष्णु के नवमें अवतार श्री कृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि को हुआ था इसलिए भक्त हर महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मासिक जन्माष्टमी मनाते हैं और भगवान की पूजा अर्चना करते हैं। मासिक कृष्ण जन्माष्टमी/Masik Krishan Janmashtami का व्रत एवं पूजन करने से सभी पापों का नाश होता है और जीवन की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। जिन लोगों को संतान प्राप्ति में मुश्किलों का सामना करना पड़ता हो, वो इस दिन लड्डू गोपाल की पूजा करें तो उन्हें उत्तम संतान सुख की प्राप्ति होती है।

 

मासिक कृष्ण जन्माष्टमी 2024 तिथियां

3 जनवरी, 2024, बुधवार

2 फरवरी, 2024, शुक्रवार

3 मार्च, 2024, रविवार

1 अप्रैल, 2024, सोमवार

1 मई, 2024, बुधवार

30 मई, 2024, बृहस्पतिवार

28 जून, 2024 शुक्रवार

27 जुलाई, 2024, शनिवार

26 अगस्त, 2024, सोमवार

24 सितंबर, 2024 मंगलवार

22 नवंबर, 2024, शुक्रवार

22 दिसंबर, 2024, रविवार

 

मासिक जन्माष्टमी 2024 की पूजा विधि

प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को सुबह ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान आदि कर भगवान कृष्ण की पूजा में बैठ जाना चाहिए। कृष्ण जन्माष्टमी/Krishan Janmashtami के दिन भगवान श्री कृष्ण के बाल स्वरूप की आराधना होती है। स्नान के बाद श्री कृष्ण जी की मूर्ति स्थापना करें और उसका दूध और गंगाजल से अभिषेक करें, फिर उन्हें सुंदर वस्त्र पहनाएं। इसके बाद मोर मुकुट, बाँसुरी, चंदन, वैजयंती माला से उनका शृंगार करें। बाल गोपाल की विधिवत पूजा कर उन्हें फूल, अक्षत, तुलसी दल, आदि चढ़ाना चाहिए। इसके बाद धूप और द्वीप जलाकर श्री कृष्ण के मंत्रों का जाप करना चाहिए और आरती करनी चाहिए। इस दिन भगवान श्री कृष्ण को मेवा, माखन मिश्री और पंजीरी का भोग लगाकर प्रसाद लोगों को वितरित कर दें।

अगर आप मंदिर नहीं जा सकते तो घर पर ही लड्डू गोपाल का मंदिर सजाएं और उनकी पूजा अर्चना करके उनका अभिषेक करें। घर पर बनें पकवानों से उनको भोग लगाएं और रात 12 बजे जिस समय ठाकुर जी का जन्म हुआ था उनकी आरती करें। आरती करने के बाद ठाकुर जी के प्रसाद का वितरण करें।

 

जन्माष्टमी व्रत का महत्व

हिंदू धर्म ग्रंथों में भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव वाले दिन रखे जाने वाले व्रत की अपार महिमा बताई गई है, जिसे विधि-विधान से करने पर व्यक्ति की सभी कामनाएं शीघ्र ही पूरी होती हैं। ऐसी मान्यता है कि जन्माष्टमी के व्रत को करने से व्यक्ति के जीवन से जुड़े सभी कष्ट दूर होते हैं और उसे जीवन से जुड़े सभी सुख प्राप्त होते हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार यह व्रत व्यक्ति को अकाल मृत्यु और पाप कर्मों से बचाते हुए मोक्ष प्रदान करता है। हिंदू धर्म में जन्माष्टमी के व्रत का बहुत ही खास महत्व माना जाता है। जन्माष्टमी का व्रत एक हजार एकादशियों के व्रत/Ekadashi Vrat रखने के बराबर है। इस दिन कृष्ण भक्त पूजा-पाठ के साथ पूरे दिन व्रत रखते हैं और रात में 12 बजे भगवान के जन्म के बाद व्रत का पारण करते हैं।

 

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मासिक कृष्ण जन्माष्टमी की कथा

भागवत पुराण के अनुसार, द्वापर अपने अंत की ओर था और कलयुग शुरू होने में कुछ ही समय शेष था। इस समय दैत्यों का प्रकोप दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा था। उस दौरान अत्याचारी राजा कंस मथुरा नगरी पर शासन करता था। कंस ने अपने पिता राजा उग्रसेन को कारगार में बंदी बनाकर सिंहासन को हड़प लिया था। लेकिन वह अपनी बहन देवकी से बहुत प्रेम करता था और उसने अपनी बहन का विवाह अपने मित्र वसुदेव से करा दिया। जब वसुदेव देवकी के साथ अपने राज्य जा रहे थे, तभी आकाशवाणी हुई कि 'कंस! तेरी बहन के गर्भ से पैदा होने वाली आठवीं संतान तेरे मृत्यु का कारण बनेगी।'' इस आकाशवाणी को सुनकर कंस क्रोधित हो उठा और उसने वसुदेव की हत्या का प्रयास किया। लेकिन देवकी ने अपने भाई को ऐसा करने से रोक दिया और यह वचन दिया कि जो भी संतान उनके गर्भ से जन्म लेगी, उसे वह कंस को सौंप देगी। कंस ने इस शर्त को मान लिया और दोनों को कारगार में बंदी बना लिया। देवकी ने कारागार में एक-एक कर छह बच्चों को जन्म दिया और कंस ने सभी शिशुओं को निर्ममता से मार डाला। लेकिन सातवें संतान को योगमाया ने संकर्षित कर माता रोहिणी के गर्भ में पहुंचा दिया, जिन्हें शेषावतार बलराम जी के नाम से पूजा जाता है।

आकाशवाणी के अनुसार, देवकी माता ने आठवें संतान के रूप में भगवान विष्णु के आठवें अवतार भगवान श्री कृष्ण को जन्म दिया। भगवान श्री कृष्ण के जन्म होते ही कारागार में भगवान विष्णु स्वयं प्रकट हुए और उन्होंने वसुदेव जी से कहा कि आप इस बालक को अपने मित्र नंद जी के पास ले जाएं और वहां से उनकी कन्या को ले आएं।

आदेशानुसार वसुदेव जी ने बाल गोपाल को एक टोकरी में डालकर अपने सर पर रखा और नंद जी के घर चल पड़े। भगवान विष्णु की माया से कारागार के सभी पहरेदार सो गए और कारगार के द्वार अपने-आप खुलने लगे। जब वसुदेव श्री कृष्ण को लेकर यमुना नदी के तट पर पहुंचे तो यमुना अपने पूरे वेग से बह रही थी, लेकिन प्रभु के लिए यमुना ने भी शांत होकर वसुदेव जी को आगे जाने का मार्ग दिया। वसुदेव सकुशल नंद जी के पास पहुंच गए और वहां से उनकी कन्या को लेकर वापस कारागार आ गए।

जब कंस को आठवें संतान के जन्म की सूचना प्राप्त हुई, तो वह शीघ्र-अतिशीघ्र कारागार पहुंच गया और देवकी से कन्या को छीनकर उसकी हत्या का प्रयास किया। लेकिन तभी उसने कंस के हाथ से निकलकर कहा कि 'मूर्ख कंस! तूझे मारने वाला जन्म ले चुका है और वह वृंदावन पहुंच गया है। अब तुझे तेरे पापों का दंड जल्द मिलेगा।' वह कन्या योग माया थीं, जो कन्या के रूप में आई थीं।

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