इस रेलवे स्टेशन को एयरपोर्ट जैसी सुविधाओं के विकसित किया गया है. यहां लिफ्ट, एस्केलेटर, वेटिंग हॉल, क्लॉक रूम, और बेहतरीन फूड प्लाजा जैसी सुविधाओं का विकास किया गया है.
22 जनवरी को होने वाली प्राण प्रतिष्ठा से पहले पीएम मोदी ने अयोध्या को 15700 करोड़ की 46 परियोजनाओं की सौगात दे दी.. पीएम मोदी ने पहले अयोध्या रेलवे स्टेशन और उसके बाद एयरपोर्ट का भी उदघाटन किया. पीएम मोदी का अयोध्या में रोड शो भी हुआ, जिसमें कई लोग उनका स्वागत के लिए सड़कों के किनारे खड़े दिखाई दिए. पीएम मोदी ने अमृत भारत ट्रेनों को भी हरी झंडी दिखाई जो लोगों को सस्ते दामों पर अयोध्या से गोरखपुर तक का सफर कराएंगी.
भव्य रूप से बनकर तैयार है अयोध्या रेलवे स्टेशन
अयोध्या धाम रेलवे स्टेशन को 240 करोड़ रुपये की लागत से रेनोवेट किया गया है. अयोध्या रेलवे स्टेशन को ग्रीन बिल्डिंग कॉन्सेप्ट पर बनाया गया है. इस रेलवे स्टेशन को भव्य रूप से उसी आर्टिटेक्ट के अनुरूप बनाया गया है. प्रवेश द्वार पर ही भगवान राम की भव्य तस्वीर देखने को मिल जाती है. इस रेलवे स्टेशन को एयरपोर्ट जैसी सुविधाओं के विकसित किया गया है. यहां लिफ्ट, एस्केलेटर, वेटिंग हॉल, क्लॉक रूम, और बेहतरीन फूड प्लाजा जैसी सुविधाओं का विकास किया गया है. इसी तरह से एयरपोर्ट को भी भव्य रूप से विकसित किया गया है. आज के उद्घाटन के बाद 15 जनवरी से यहां देश के कई राज्यों से आवाजाही शुरू हो जाएगी.
ये खास है इस रेलवे स्टेशन में
11000 करोड़ रुपये की लागत से अयोध्या में कई कामों को किया गया है. इनमें अयोध्या में चार सड़कों का चौड़ीकरण और सौंदर्यीकरण किया गया है. वहीं इन परियोजनाओं में एक मेडिकल कॉलेज और अयोध्या बाईपास, एक सॉलिड वेस्ट ट्रीटमेंट, पांच पार्किंग और कमर्शियल सुविधाएं भी शामिल हैं.
इन ट्रेनों की भी मिलेगी सौगात
पीएम मोदी ने अयोध्या धाम रेलवे स्टेशन पर अमृत भारत ट्रेनों का हरी झंडी दिखाई. इनमें दो अमृत ट्रेनों, 6 वंदे भारत ट्रेनों, को भी हरी झंडी दिखाई. रेलवे की ओर से चलाई जा रही अमृत भारत ट्रेनें सुपरफास्ट पैसेंजर ट्रेनों की एक नई कैटेगिरी वाली ट्रेनें हैं. इसकी खास बात इनमें लगी पुश पुल सविधा है. ये ट्रेन स्पीड के साथ-साथ लोगों को बहुत आराम देगी. इन ट्रेनों में ज्यादा सीटें, सामान रखने के लिए रैक सहित कई अन्य सुविधाओं का विकास किया गया है. इनमें ट्रेन के अंदर रौशनी के लिए एलईडी लाइटें, सीसीटीवी कैमरे और एक सार्वजनिक सूचना प्रणाली, सहित बेहतर सुविधाओं का भी विकास किया गया है.
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एक्सप्रेसवीपीएन (ExpressVPN) ने जॉब मार्केट के बदलते नए ट्रेंड पर एक रिसर्च रिपोर्ट तैयार की है. इस रिपोर्ट को घोस्ट जॉब (Ghost Jobs) टाइटल से पब्लिश किया गया है.
एक्सप्रेसवीपीएन (ExpressVPN) ने हाल ही में जॉब मार्केट (Job Market) में आए एक नए ट्रेंड पर शोध (Research) पब्लिश किया है. इसे घोस्ट जॉब्स (Ghost Jobs) टाइटल दिया गया है. इस रिसर्च में इस ट्रेंड को दिखाया गया है कि आजकल कंपनियां ऐसी भूमिकाओं के लिए जॉब पोस्टिंग कर रही हैं, जिनके लिए काम पर नहीं रखा जा रहा है. रिसर्च के अनुसार वर्तमान में 6 मिलियन से अधिक अमेरिकी बेरोजगार हैं. इसके कई महत्वपूर्ण कारण हैं, जिसमें कुछ कारणों के बारे में एक्सप्रेसवीपीएन (ExpressVPN) ने जानकारी हासिल की है, जो इस प्रकार हैं.
1. 43 प्रतिशत एम्प्लॉयर अपनी ग्रोथ दिखाने के लिए घोस्ट जॉब्स (Ghost Jobs) का इस्तेमाल करते हैं, जिससे नौकरी के लिए आवेदन करने वाले आवेदक झूठी आशा और बेकार के प्रयास के चक्र में फंस जाते हैं.
2. अकेले लिंक्डइन (LinkedIn) पर 1.6 मिलियन से अधिक नौकरी पोस्टिंग 30 दिन से अधिक पुरानी हैं, जो ऑनलाइन नौकरी प्लेटफार्मों में लोगों के विश्वास को कम करने के एक गंभीर मुद्दे की ओर इशारा करती हैं.
3. कुछ समय बाद जॉब एप्लीकेशन्स गायब हो जाती हैं और ऐसी स्थिति में नौकरी चाहने वालों के हाथ निराशा लगती है और वे हताश होते हैं.
एक्सप्रेसवीपीएन (ExpressVPN) में टैलेंट एक्वीजिशन लीड
(Talent Acquisition Lead) डायना नेवजोरेनु (Diana Nevzoreanu) ने कहा है कि हमें इस नए ट्रेंड का नौकरी चाहने वालों पर पड़ रहे प्रभाव के बारे में सोचना चाहिए. यह उनके लिए समय की बर्बादी और सिस्टम में विश्वास के ख़त्म होने जैसा है. नौकरी चाहने वाले आवेदक सभी जॉब पोस्टिंग की वैधता पर यह सोचकर सवाल उठाना शुरू कर सकते हैं कि क्या इसमें आवेदन करना सही है या ये बेकार के प्रयास हैं? इस विषय में हम सभी को जरूर सोचना चाहिए, वरना आने वाले समय में आवेदकों का लिंक्डिन जैसे प्लेटफॉर्म से भरोसा उठ सकता है.
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विशाल का अनुभव ब्रिक एंड मोर्टार के स्टोर और ई-कॉमर्स दोनों में है. उन्होंने महिलाओं, पुरुषों और बच्चों के कपड़ों, हाई फैशन गारमेंट, फैशन एक्सेसरीज और गहनों जैसे विभिन्न क्षेत्रों में काम किया है.
शिकागो स्थित महिलाओं के लक्जरी परिधान और इवनिंग वेयर फैशन हाउस, Mac Duggal ने घोषणा की है कि उन्होंने विशाल मल्होत्रा को Mac Duggal India का डायरेक्टर ऑफ ऑपरेशन नियुक्त किया है. मैक दुग्गल महिलाओं के लक्जरी परिधान और इवनिंग वेयर्स में एक प्रतिष्ठित नाम बन गया है. विशाल के पास रिटेल इंडस्ट्री उद्योग में 24 साल का अनुभव है, जो उन्हें मैक दुग्गल के भारत चैप्टर का नेतृत्व करने और देश में उनके विस्तार को बढ़ाने के लिए उपयुक्त बनाता है.
विशाल को है 24 साल का अनुभव
विशाल का अनुभव ब्रिक एंड मोर्टार के स्टोर और ई-कॉमर्स दोनों में है. उन्होंने महिलाओं, पुरुषों और बच्चों के कपड़ों, हाई फैशन गारमेंट, फैशन एक्सेसरीज और गहनों जैसे विभिन्न क्षेत्रों में काम किया है. विशाल फैशन व्यवसाय में एक अनुभवी विशेषज्ञ हैं. अपने शानदार करियर के दौरान विशाल ने नए ब्रैंड्स को लॉन्च करके उन्हें प्रतिस्पर्धी बाजारों में सफल बनाने की अद्भुत क्षमता दिखाई है. उनके पास बिजनेस प्लानिंग, विस्तार रणनीतियां, मर्चेंडाइजिंग और कैटेगरी मैनेजमेंट में विशेषज्ञता है, जो उन्हें ब्रैंड को सफलतापूर्वक संचालित करने में मदद करती है.
फिलहाल, विशाल मैक दुग्गल को भारत में लॉन्च कर रहे हैं. अपने व्यापक अनुभव और उपभोक्ता की गहरी समझ का उपयोग करते हुए, वह इस ब्रैंड को भारत के फैशन बाजार में एक मजबूत स्थिति में पहुंचाने का काम कर रहे हैं. अपनी रणनीतिक दृष्टि और एक्सीलेंस के साथ विशाल फैशन उद्योग को भविष्य के लिए आकार दे रहे हैं और अपने सहयोगियों और ग्राहकों से प्रशंसा और सम्मान प्राप्त कर रहे हैं.
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भारतीय बाजार में मजबूत होगी पकड़
मैक दुग्गल के फाउंडर और मैनेजमेंट डायरेक्टर मैक दुग्गल ने विशाल को कंपनी में शामिल करने पर अपनी खुशी व्यक्त करते हुए कि हम विशाल को भारत में मैक दुग्गल के संचालन निदेशक के रूप में स्वागत करते हुए बहुत खुश हैं. रिटेल इंडस्ट्री में उनका अनुभव और भारतीय बाजार में उनकी पकड़ हमें भारतीय बाजार को बेहतर ढंग से समझने में मदद करेगा.
कई मशहूर ब्रैंड में किया है काम
अपने उल्लेखनीय उपलब्धियों में, विशाल ने United Colors of Benetton, Arrow, Levis, Biba, W आदि जैसे प्रसिद्ध ब्रैंडों का नेतृत्व किया है जब वे Ebony Retail में काम कर रहे थे तो उनकी एंटरप्रेन्यूरियल की भावना ने उन्हें Studio Ivory की स्थापना करने के लिए प्रेरित किया, जो शान्तनु और निखिल, AN Jeans आदि जैसे फेमस लक्जरी ब्रैंडों को प्रदर्शित करने वाला पहला मंच था जिसने भारत में MBO की संस्कृति को पेश किया.
एबोनी रिटेल्स प्राइवेट लिमिटेड (Ebony Retails Private Limited), गिनी और जोनी (Gini and Jony), सहारा इंडिया (Sahara India) आदि में उनकी नेतृत्व भूमिकाएं और अब मैक दुग्गल में डायरेक्टर के रूप में उनकी नियुक्ति, फैशन बिजनेस के क्षेत्र में एक विजनरी लीडर के रूप में उनकी प्रतिष्ठा को और मजबूत करती है.
दिल्ली में पानी की किल्लत के बाद सरकार अब सख्ती के मूड में आ गई है. पानी की बर्बादी को रोकने के लिए सरकार ने 200 टीमें बनाने को कहा है. इसके अलावा पानी बर्बाद करने वालों पर जुर्माना भी लगेगा.
दिल्ली में भीषण गर्मी के बीच पानी की भी किल्लत हो गई है. इसे देखते हुए दिल्ली सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. पानी की बर्बादी पर अब जुर्माना लगेगा. दिल्ली सरकार की जल मंत्री आतिशी मार्लेना ने आदेश जारी किया है कि यदि किसी के घर की पानी की टंकी ओवरफ्लो होती और पानी बर्बाद होता है तो उस पर जुर्माना लगाया जाएगा. साथ ही पानी का उपयोग निर्माण कार्य में या वाहन धुलने में इस्तेमाल करने पर 2000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा.
मंत्री आतिशी ने जारी किया निर्देश
मंत्री आतिशी मार्लेना की ओर से जारी निर्देश में लिखा गया है कि दिल्ली में इस वक्त गंभीर हीटवेव चल रहा है और पानी की आपूर्ति में कटौती हुई है क्योंकि हरियाणा दिल्ली के हिस्से का पानी नहीं छोड़ रहा है. इन परिस्थितियों में पानी का संरक्षण बहुत जरूरी हो गया है. हालांकि, दिल्ली के कई हिस्से में पानी को बर्बाद करते हुए देखा गया है. निर्माण स्थलों और वाणिज्यिक संस्थानों ने वहां से अवैध कनेक्शन ले रखा है जो पानी घरेलू इस्तेमाल के लिए है. पानी के इस तरह की बर्बादी पर रोक लगाने की जरूरत है.
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200 टीम करेंगी निगरानी
मंत्री ने दिल्ली जल बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) को पानी की बर्बादी रोकने के लिए उपायों को लागू करने के संबंध में 200 टीम तैनात करने का निर्देश दिया है. ये टीम गुरुवार को सुबह आठ बजे से तैनात होंगी और पानी की बर्बादी करने वालों पर जुर्माना लगाएंगी. टीम निर्माण स्थलों या व्यावसायिक प्रतिष्ठानों पर पानी के अवैध कनेक्शन भी काट देंगी.
इन इलाकों में होगी पानी की किल्लत
दिन में दो बार की जगह एक बार पानी की सप्लाई करने से ग्रेटर कैलाश, लाजपत नगर, पंचशील पार्क, हौज खास, चित्तरंजन पार्क सहित दक्षिणी दिल्ली के कई इलाकों में लोगों को पानी की किल्लत का सामना करना पड़ेगा. आपको बता दें कि महरौली और छतरपुर सहित उत्तर और दक्षिण पश्चिम दिल्ली में भीषण गर्मी के सितम के बीच लोग पानी की किल्लत से जूझ रहे हैं. ऐसे में यमुना के कम होते जलस्तर ने लोगों की परेशानी और ज्यादा बढ़ा दी है.
मोदी स्टॉक्स 54 शेयरों की एक लिस्ट है. इसमें सबसे ज्यादा शेयर सरकारी कंपनियों के हैं.
शेयर बाजार (Stock Market) में स्टॉक्स की कई कैटेगरी हैं. जैसे कि PSU स्टॉक्स, IT स्टॉक्स आदि, लेकिन अब नई कैटेगरी ने जन्म लिया है और उसका नाम है मोदी स्टॉक्स (Modi Stocks). दरअसल, ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म सीएलएसए (CLSA) ने 54 ऐसे शेयरों की एक लिस्ट जारी की है, जिनकी कंपनियों को मोदी सरकार की नीतियों से फायदा हुआ है. CLSA ने इस लिस्ट का नाम मोदी स्टॉक्स रखा है. फर्म का यह भी मानना है कि अगर मोदी सरकार की वापसी होती है, तो इन स्टॉक्स में तेजी आ सकती है.
आधी सरकारी कंपनियां
मोदी स्टॉक्स में करीब करीब आधी सरकारी कंपनियां शामिल हैं. इस लिस्ट में L&T, NTPC, NHPC, PFC, ONGC, IGL, महानगर गैस, भारती एयरटेल, इंडस टावर्स और रिलायंस इंडस्ट्रीज आदि शामिल हैं. मोदी स्टॉक्स में शामिल 90% शेयरों ने पिछले छह महीनों में अच्छा रिटर्न दिया है. CLSA के एनालिस्ट्स का कहना है कि यदि चार जून को लोकसभा चुनाव के नतीजे भाजपा के पक्ष में आते हैं तो इन शेयरों में तेजी का दौर आगे भी जारी रह सकता है.
ये भी हैं लिस्ट में शामिल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में सरकारी कंपनियों के प्रदर्शन में सुधार आया है. खासकर, सरकारी बैंकों की स्थिति में व्यापक बदलाव देखने को मिला है. कुछ वक्त पहले पीएम मोदी ने कहा था कि शेयर बाजार में रुचि रखने वालों के ये गुरु मंत्र है कि जिन सरकारी कंपनियों को विपक्ष गाली दे, आप उस पर दांव लगा दीजिए सब अच्छा होने वाला है. CLSA के मोदी स्टॉक्स में HDFC Bank, ICICI Bank, Axis Bank, IndusInd Bank, Ashok Leyland, UltraTech, Bajaj Finance, Max Financials, Zomato और DMart भी शामिल हैं.
जुलाई तक जारी रहेगी तेजी
ब्रोकरेज फर्म सीएलएसए का कहना है कि PSU स्टॉक्स में तेजी जून-जुलाई तक जारी रह सकती है. इसी तरह का पैटर्न पिछले दो लोकसभा चुनाव के दौरान भी देखने को मिला था. लोकसभा चुनाव के परिणाम 4 जून को सामने आएंगे. अब तक के अनुमानों से मोदी सरकार की वापसी लगभग तय मानी जा रही है. वहीं, मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के चेयरमैन और को-फाउंडर रामदेव अग्रवाल का कहना है कि नरेंद्र मोदी के तीसरी बार सरकार बनाने की 99% उम्मीद है. अग्रवाल ने यह भी कहा कि मोदी की वापसी पर रक्षा, इंफ्रास्ट्रक्चर, रेलवे और कैपिटल गुड्स जैसे क्षेत्रों में काफी एक्शन देखने को मिल सकता है. इसके साथ ही ऑटो, होटल्स और एयरलाइंस कंपनियों के शेयरों के भी अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद है.
सिर्फ स्टॉक्स में करीब 25,000 करोड़ रुपये का ऐसा इनवेस्टमेंट है, जिसका कोई दावेदार नहीं है। करीब इतना ही पैसा म्यूचुअल फंड की स्कीमों में है। इससे ज्यादा पैसा बैंकों के पास डिपॉजिट के रूप में पड़ा है
भारत में फाइनेंशियल सेक्टर काफी तेज गति से आगे बढ़ा रहा है. लेकिन, इसके साथ एक नई प्रॉब्लम सामने आई है. वह है ऐसा इनवेस्टमेंट का जिसका कोई दावेदार नहीं है. ऐसे करोड़ों रुपये स्टॉक्स, म्यूचुअल फंड्स, प्रोविडेंट फंड आदि में पड़े हैं, जिनका कोई दावेदार नहीं है. यह रकम अब लगभग 25000 करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर गई है. इतनी विशाल रकम के शेयर्स पर कोई भी दावा नहीं कर रहा है. यह वित्तीय सिस्टम के लिए समस्या बन चुका है.
25,000 करोड़ रुपये के शेयरों का कोई नहीं दावेदार
इनवेस्टर एजुकेशन एंड प्रोटेक्शन फंड (IEPF) के डेटा के मुताबिक, मार्च 2023 में कुल 25,000 करोड़ रुपये के शेयरों का कोई दावेदार नहीं था. एक्सपर्ट्स का कहना है कि इंडिया में इनवेस्टमेंट के दावेदार नहीं होने की कई वजह हैं. इसमें पहला है जागरूकता का अभाव. कई इनवेस्टर्स खासकर फाइनेंशियल मार्केट्स के नए इनवेस्टर्स के बीच इस बात को लेकर जागरूकता नहीं है कि कंपनियों और कस्टोडियंस के पास अपनी इंफॉर्मेशन को अपडेटेड रखना कितना जरूरी है.
इन वजहों से अभी तक फंसा पड़ा है पैसा
एक सरकारी संस्था इनवेस्टर एजुकेशन एंड प्रोटेक्शन फंड (IEPF) के आंकड़ों के अनुसार, मार्च 2023 तक देश में 25 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा के शेयर्स गुमनाम पड़े हुए थे. इन्हें सही लोगों तक पहुंचाने के लिए एक प्रभावी सिस्टम बनाने की सख्त जरूरत है. इस गुमनाम निवेश के पीछे कई कारण हैं. कई निवेशक अपनी कॉन्टैक्ट जानकारी को अपडेट नहीं करते. इसके अलावा कई बार लोगों के पते भी बदल जाते हैं. बैंक अकाउंट बंद करे देना और नॉमिनी की जानकारी दिए बिना निवेशक की मृत्यु भी फंसे हुए निवेश के बड़े कारण हैं. इसके चलते उन्हें डिविडेंड का लाभ भी नहीं मिल पाता है. साथ ही कई निवेशकों के पास अभी भी फिजिकल शेयर हैं, जो कि अब अमान्य घोषित हो चुके हैं. इन्हें अभी तक डीमैट अकाउंट में ट्रांसफर नहीं करवाया गया है.
बैंक और EPFO जैसे संस्थान भी हैं परेशान
ऐसा निवेश न सिर्फ आपको लाभ मिलने से वंचित करता है बल्कि वित्तीय सिस्टम के लिए भी परेशानी खड़ा करता है. IEPF के आंकड़ों के अनुसार, सिर्फ म्युचुअल फंड में ही लगभग 35 हजार करोड़ रुपयों पर कोई दावा नहीं कर रहा है. इंश्योरेंस सेक्टर की सबसे बड़ी कंपनी LIC के पास ही लगभग 21500 करोड़ रुपये अनक्लेमड पड़े हुए हैं. ठीक इसी तरह प्राइवेट कंपनियों के पास भी ऐसी बड़ी राशि है. EPFO से मिली जानकारी के अनुसार, उनके पास भी लगभग 48000 करोड़ रुपये बिना किसी दावे के पड़े हुए हैं. RBI के अनुसार, बैंकों के पास भी लगभग 62000 करोड़ रुपये मौजूद हैं.
कैसे मिल सकता है यह पैसा?
कुछ कंपनियां अनक्लेम्ड इनवेस्टमेंट या डिपॉजिट की समस्या के समाधान के लिए आगे आई हैं. ये कंपनियां अनक्लेम्ड इनवेस्टमेंट रिकवरी में स्पेशियलाइज्ड होती हैं. ये इंडिविजुअल और कंपनियों को अपनी सेवाएं देती हैं. इस सेवा में इनवेस्टमेंट आइडेंटिफिकेशन, डॉक्यूमेंट कलेक्शन और वेरिफिकेशन आदि शामिल होता है. ये कंपनियां उस कंपनी या रेगुलेटरी बॉडी से बातचीत करती हैं, जिनमें इनवेस्ट्स का पैसा पड़ा होता है. ये कंपनियां प्रदर्शन आधारित मॉडल पर काम करती हैं. ये रिकवर किए गए अमाउंट का एक हिस्सा फीस के रूप में लेती हैं.
विंड एनर्जी से जुड़ी कंपनी सुजलॉन एनर्जी के शेयर आज तेजी के साथ दौड़ रहे हैं.
भारत के विंडमैन कहे जाने वाले दिवंगत तुलसी तांती की कंपनी सुजलॉन एनर्जी (Suzlon Energy) के शेयर उफान पर हैं. आज के गिरावट वाले बाजार में भी यह शेयर तूफानी तेजी से दौड़ रहा है. बाजार की शुरुआत से ही सुजलॉन के शेयर ग्रीन लाइन पकड़कर कारोबार कर रहे हैं. दोपहर 2 बजे तक इसमें 4.89% का उछाल आ चुका था. फिलहाल 46.10 रुपए के भाव पर मिल रहे इस शेयर ने अपने निवेशकों को बंपर रिटर्न दिया है.
आदित्य बिड़ला ग्रुप से मिला ऑर्डर
चलिए अब यह भी जान लेते हैं कि आखिर ऐसी क्या हुआ, जिसके चलते सुजलॉन के शेयर गिरावट वाले बाजार में भी शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं. दरअसल, Suzlon Energy को अपनी 3 मेगावॉट विंड टर्बाइन सीरीज के लिए आदित्य बिड़ला ग्रुप से 551.25 मेगावॉट का ऑर्डर मिला है. कंपनी की ऑर्डर बुक पहले ही काफी मजबूत है. ऐसे में इस बड़े ऑर्डर ने उसे और मजबूती प्रदान की है. यही वजह है कि कंपनी के शेयरों में तूफानी तेजी देखने को मिल रही है.
2 साइट्स पर पूरा होगा ऑर्डर
सुजलॉन एनर्जी के शेयर तेजी से अपने 52 हफ्ते के हाई लेवल की तरफ बढ़ रहे हैं. उसका 52 सप्ताह का उच्चतम स्तर 50.60 रुपए है. पिछले कुछ सालों में यह शेयर 1.72 रुपए से बढ़कर 45 के पार निकल गया है. सुजलॉन मिले ऑर्डर की बात करें, तो उसे यह ऑर्डर 2 साइट्स पर पूरा करना है. कंपनी राजस्थान के बाड़मेर जिले में 368.55 मेगावॉट कैपेसिटी डिवेलप करेगी. इसके अलावा, उसे गुजरात के भुज में 182.7 मेगावॉट कैपेसिटी विकसित करनी होगी. आदित्य बिड़ला समूह इन प्रोजेक्ट से जनरेटेड पावर का इस्तेमाल कैप्टिव यूसेज में करेगा. प्रोजेक्ट्स पूरा करने के बाद सुजलॉन एनर्जी इनके ऑपरेशंस और मेंटेनेंस का काम भी देखेगी.
5 साल में दिया 822% रिटर्न
विंड एनर्जी बिजनेस से जुड़ी सुजलॉन एनर्जी के शेयरों में पिछले कुछ साल में अपने निवेशकों को शानदार रिटर्न दिया है. पिछले 5 सालों में कंपनी का शेयर 822% चढ़ चुका है. 27 मार्च 2020 को Suzlon का शेयर 1.72 रुपए पर था. जबकि आज यह 45 रुपए के पार निकल गया है. बीते एक साल में ही इस शेयर ने 345.41% का रिटर्न दिया है. इस साल अब तक यह 19.74% की छलांग लगा चुका है. कंपनी की मजबूत ऑर्डर बुक के चलते ब्रोकरेज फर्म इसे लेकर बुलिश रही हैं.
लोकसभा चुनाव के दौरान प्रचार के लिए किराए पर हेलिकॉप्टर की होड़ मची रही, जिसका कंपनियों ने खूब फायदा उठाया.
चुनावी मौसम में आसमान से बूंदें भले ही न टपकें, लेकिन वादों की बरसात जरूर होती है. नेता दिल-खोलकर वादे करते हैं और इन वादों का अहसास जनता को कराने के लिए प्रचार पर पानी की तरह पैसा भी बहाते हैं. वैसे, तो हर चुनावी सीजन में पैसों की बरसात होती है, लेकिन इस बार यह बरसात काफी भारी हुई है. जमीन से लेकर आसमान तक नेताओं ने प्रचार के लिए हर साधन का जबरदस्त इस्तेमाल किया है. सोशल मीडिया पर भी करोड़ों रुपए के विज्ञापन दिए गए हैं, क्योंकि देश का भविष्य कही जाने वाली युवा पीढ़ी सबसे ज्यादा समय वहीं बिताती है.
हेलिकॉप्टर ऑपरेटरों ने काटी चांदी
इस लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) में हेलिकॉप्टर के पंखे काफी तेजी से घूमे हैं. भाजपा से लेकर कांग्रेस तक के बड़े नेताओं ने प्रचार के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचने के लिए हेलिकॉप्टर का जमकर इस्तेमाल किया है. हेलिकॉप्टर किराए पर देने वाली कंपनियां प्रति घंटे के हिसाब से चार्ज करती हैं. एक रिपोर्ट के अनुसार, ट्विन इंजन वाले 8-सीटर हेलिकॉप्टर का किराया प्रति घंटे करीब 3 लाख रुपए होता है. ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस चुनावी मौसम में हेलिकॉप्टर ऑपरेटरों (Helicopter Operators) ने कितना कमाया होगा.
सबसे ज्यादा कमाई वाला चुनाव
रिपोर्ट बताती है कि 2024 का लोकसभा चुनाव हेलिकॉप्टर कंपनियों के लिए सबसे ज्यादा कमाई वाला साबित हुआ है. इस दौरान इनकी कमाई का आंकड़ा लगभग 350 से 400 करोड़ रुपए तक पहुंचने का अनुमान है. बढ़ती डिमांड को देखते हुए हेलिकॉप्टर ऑपरेटरों ने किराए में भी अच्छी-खासी बढ़ोत्तरी की है. 6-7 लोगों के बैठने की क्षमता वाले BEL407 जैसे सिंगल इंजन वाले हेलिकॉप्टर का किराया बढ़कर 1.3-1.5 लाख प्रति घंटा हो गया है. इसी तरह, 7-8 की क्षमता वाले ऑगस्टा AW109 और H145 एयरबस हेलिकॉप्टर का किराया प्रति घंटा 2.3-3 लाख तक पहुंच गया है. वहीं, 15-सीटर वाले अगस्ता वेस्टलैंड के लिए 4 लाख रुपए प्रति घंटा किराया वसूला गया है.
डिमांड के साथ किराया भी बढ़ा
रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि इस लोकसभा चुनाव में डिमांड बढ़ने के कारण हेलिकॉप्टर ऑपरेटर्स ने नियमित किराए की तुलना में 40-50% तक अधिक किराया चार्ज किया है. जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में इसमें 20-30% की बढ़ोतरी देखने को मिली थी. दरअसल, इस चुनाव में हेलिकॉप्टर्स की मांग बहुत अधिक रही है. राज्य स्तर पर पार्टियों से भी इनकी डिमांड मिली है. डिमांड के अनुरूप हेलीकॉप्टरों की संख्या में वृद्धि नहीं हुई है. इस वजह से उसके किराए में इजाफा देखने को मिला है. हेलिकॉप्टर ऑपरेटर्स पार्टी या नेताओं के साथ 45-60 दिनों के लॉन्ग टर्म के लिए एग्रीमेंट साइन करते हैं. इसमें उड़ान के घंटे भी पहले ही निर्धारित कर लिए जाते हैं. इसके बाद चाहे हेलिकॉप्टर इस्तेमाल किए जाएं या नहीं, उसका भुगतान करना ही होता है.
रूस यूक्रेन के बीच जंग के बाद रूस पर अमेरिका और यूरोप के देशों ने कारोबारी प्रतिबंध लगाए हैं. हालांकि इसके बाद भी भारत रूस से बड़ी मात्रा में तेल की खरीद कर रहा है.
रिलायंस इंडस्ट्रीज (Reliance Industries) ने रूस की कंपनी रोसनेफ्ट (Rosneft) के साथ एक साल के लिए करार किया है. इस करार के तहत रिलायंस हर महीने कम से कम 3 मिलियन बैरल रूसी कच्चा तेल (क्रूड ऑयल) का आयात करेगी. पेमेंट रूस की करेंसी रूबल में किया जाएगा. तेल उत्पादक देशों के समूह ओपेक+ (OPEC+) 2 जून को मीटिंग करने वाले हैं. इसमें ये तेल सप्लाई में कटौती जारी रखने कर निर्णय ले सकते हैं. ऐसे में रिलायंस इंडस्ट्रीज को इस डील की वजह से रियायती कीमत पर तेल मिलते रहने में मदद मिलेगी.
क्या है रिलायंस- Rosneft के बीच सौदा?
सौदे की शर्तों के तहत रिलायंस यूराल क्रूड (Urals crude) के करीब दस लाख बैरल के दो कार्गो खरीदेगा, जिसमें हर महीने 3 डॉलर की छूट पर चार और कार्गो खरीदने का विकल्प होगा. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रिलायंस हर महीने एक से दो कार्गो लो-सल्फर क्रूड ऑयल की खरीद करेगी. इसमें मुख्य रूप से रूस के कोज़मिनो (Kozmino) के प्रशांत बंदरगाह से निर्यात किया जाने वाला ईएसपीओ ब्लेंड (ESPO Blend) होगा. इसके साथ ही रिलायंस भारत के एचडीएफसी बैंक (HDFC Bank ) और रूस के गज़प्रॉमबैंक (Gazprombank) के माध्यम से रूस के रूबल का उपयोग करके तेल के लिए पेमेंट करने पर सहमत हो गया है. पेमेंट सिस्टम पर अधिक जानकारी तुरंत उपलब्ध नहीं हो पाई है.
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आम लोगों को मिलेगी राहत?
क्रूड ऑयल के उत्पादक देशों का समूह ओपेक+ (OPEC+) जून 2024 से आगे भी तेल सप्लाई में कटौती जारी रखेगा. इससे दुनियाभर में तेल के दाम बढ़ने की आशंका रहेगी. लेकिन, रिलायंस इंडस्ट्रीज की Rosneft के साथ टर्म डील के चलते भारत में जनता को रियायती दर पर तेल उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी. पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (OPEC) और रूस सहित अन्य सहयोगियों वाले देशों को मिलाकर OPEC+ ग्रुप बना है. यह 2 जून 2024 को एक ऑनलाइन मीटिंग में तेल उत्पादन में कटौती का फैसला लेगा.
भारत तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक और उपभोक्ता देश है. 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद पश्चिमी देशों ने रूस से तेल खरीदने पर बैन लगा दिया था. इसके बाद से भारत रूसी कच्चे तेल का सबसे बड़ा खरीदार बन गया है. भारत ने रूसी कच्चे तेल के लिए रुपए, दिरहम और चीन की करेंसी युआन में भी भुगतान किया है.
3 साल में 2 से 40% हुआ रूस से तेल का इंपोर्ट
भारत ने 2020 में रूस से अपनी जरूरत का सिर्फ 2% कच्चा तेल खरीदा था. रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने से ठीक पहले 2021 में टोटल सप्लाई 16% हो गई और 2022 में सप्लाई बढ़कर 35% तक पहुंच गई. फिलहाल भारत रूस से अपनी जरूरत का 40% क्रूड ऑयल खरीद रहा है. भारत की टोटल व्यापार वैल्यू में क्रूड ऑयल का हिस्सा एक तिहाई है. यानी भारत जो कुछ भी बाहर से इंपोर्ट करता है उसका करीब एक तिहाई हिस्सा क्रूड ऑयल होता है. इसलिए इस मुनाफे से व्यापार घाटे में कमी आएगी.
पुणे में बिल्डर के नाबालिग बेटे की तेज रफ्तार कार ने दो लोगों को कुचल दिया था. अब तक आरोपी को बचाने की पूरी कोशिश की गई है.
पुणे में बीते दिनों हुए दर्दनाक कार हादसे (Pune Car Accident) में हर रोज नए खुलासे हो रहे हैं. अब तक जो कुछ भी सामने आया है, उससे यह पूरी तरह स्पष्ट हो गया है कि किस तरह पूरा सिस्टम मशहूर बिल्डर विशाल अग्रवाल के नाबालिग बेटे को बचाने में जुटा हुआ है. अग्रवाल के बिगडैल बेटे ने शराब के नशे में अपनी पोर्श कार से मध्य प्रदेश के दो इंजीनियरों को कुचल दिया था. टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि दोनों ने मौके पर ही दम तोड़ दिया.
सवालों में डिप्टी सीएम और MLA की भूमिका
विशाल अग्रवाल के रसूख के चलते उसके 17 साल के बेटे को बचाने के लिए हर तरह के हथकंडे अपनाए गए. उसकी ब्लड टेस्ट सैंपल बदल दिए गए, ताकि ड्रिंक एंड ड्राइव की पुष्टि न हो सके. इस पूरे मामले में महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजित पवार की भूमिका भी सवालों के घेरे में है. आरोप हैं कि पवार ने आरोपियों को बचाने के लिए पुणे पुलिस कमिश्नर को कॉल किया था. इसके अलावा, उनकी पार्टी के विधायक सुनील तिंगरे के हादसे वाली रात तीन बजे थाने पहुंचने पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं.
कार में सवार था सुनील तिंगरे का बेटा
इस बीच, महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले का कहना है कि हादसे के समय विशाल अग्रवाल के बेटे के साथ NCP विधायक सुनील तिंगरे का बेटे भी कार में मौजूद था. उन्होंने कहा कि दुर्घटना को अंजाम देने के बाद दो लोग कार से उतरे थे. सरकार को यह खुलासा करना चाहिए कि दूसरा कौन था. उन्होंने इस घटना की सीबीआई जांच की मांग की है. कांग्रेस लीडर ने कहा कि हमारे पास यह मानने की कई वजहें हैं कि बिल्डर के बेटे को बचाने के लिए तमाम प्रयास किए गए. क्योंकि बिल्डर के सत्ताधारी दलों के साथ अच्छे रिश्ते हैं. नाना पटोले ने यह भी कहा कि पुणे के अस्पताल के डॉक्टर अजय तवारे के एक नेता से रिश्ते हैं. तवारे को सोमवार को ही गिरफ्तार किया गया है. उन पर नाबालिग के ब्लड सैंपल बदलने का आरोप है.
पवार के पास बेशुमार दौलत
महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री अजित पवार का विवादों से पुराना नाता रहा है. अपने चाचा की पार्टी तोड़कर अलग हुए पवार के खिलाफ कई मामलों में जांच चल रही थी, लेकिन सरकार का हिस्सा बनने के बाद उन्हें राहत मिल गई. अजित पवार के पास बेशुमार दौलत है. 2019 के लोकसभा चुनाव के वक्त दाखिल हलफनामे में अजित पवार ने अपनी कुल संपत्ति का ब्यौरा दिया था. उन्होंने बताया था कि उनकी नेटवर्थ 105 करोड़ की है. उनके पास 3 कारें, 4 ट्रॉली और 2 ट्रेक्टर्स भी हैं. अजित पवार कई जमीनों के मालिक हैं, जिनकी कीमत उस समय 50 करोड़ रुपए से अधिक थी, जाहिर है आज के समय में यह आंकड़ा काफी ऊपर पहुंच चुका होगा. अजित के पास करीब 13 लाख 90 हजार के सोने व चांदी के जेवर हैं.
NCP विधायक के पास भी दौलत का अंबार
वहीं, NCP विधायक सुनील तिंगरे की संपत्ति की बात करें, तो उनके पास 49 करोड़ से अधिक की दौलत है. साथ ही एक करोड़ की देनदारी भी है. 2019 में तिंगरे ने एक लाख रुपए कैश होने की जानकारी दी थी. उनके कई बैंकों के अकाउंट में 1,71,80,114 रुपए जमा हैं. NCP विधायक ने शेयर और बांड्स में 4,04,83,693 का निवेश किया है. सुनील ने 10 लाख की जीवन बीमा पॉलिसी भी कराई है. विधायक के कारों के कलेक्शन में कई लग्जरी गाड़ियां हैं, जिनकी कीमत एक करोड़ से ज्यादा है. इनमें Lancer, Gipsy, Scoda, BMW और Mercedes आदि शामिल हैं. सुनील और उनकी पत्नी के नाम पर करीब 47 करोड़ रुपए की कृषि भूमि और करीब 3 करोड़ मूल्य की रेजिडेंशियल बिल्डिंग भी है.
जबरदस्त टिकट बिक्री के चलते IRCTC की तगड़ी कमाई हुई है. कंपनी ने हाल ही में मार्च तिमाही के नतीजे पेश किये हैं जिसमें कंपनी का शुद्ध मुनाफा 284 करोड़ रुपये का हुआ है.
इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉर्पोरेशन लिमिटेड (IRCTC) ने FY24 की चौथी तिमाही के नतीजे जारी कर दिए हैं. जनवरी-मार्च तिमाही में कंपनी का नेट प्रॉफिट सालाना आधार पर 2% फीसदी बढ़ा है. कंपनी ने इस अवधि में 284.2 करोड़ रुपये का मुनाफा दर्ज किया है. पिछले साल की समान तिमाही में कंपनी का नेट प्रॉफिट 278.8 करोड़ रुपये था. कंपनी ने मार्केट क्लोज होने के बाद नतीजे जारी किए हैं. कंपनी का मार्केट कैप 86,616 करोड़ रुपये है.
रेवेन्यू में 20 फीसदी का इजाफा
ऑनलाइन टिकट के साथ ही ट्रेनों में फूड सर्विसेज मुहैया करने वाली कंपनी ने 28 मई को रेगुलेटरी फाइलिंग में कहा कि इसका रेवेन्यू 20 फीसदी बढ़कर 1154.8 करोड़ रुपये हो गया है. पिछले साल की समान तिमाही में यह आंकड़ा 965 करोड़ रुपये था. तिमाही के दौरान कंपनी का EBIDTA 3.4 फीसदी बढ़कर 402.96 करोड़ रुपये रहा. EBIDTA मार्जिन एक साल पहले की समान अवधि के 36.8 फीसदी की तुलना में 34.89 फीसदी रहा.
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डिविडेंड का भी किया ऐलान
कंपनी ने निवेशकों के लिए 4 रुपये के डिविडेंड का ऐलान भी किया है. IRCTC ने डिविडेंड के लिए अभी रिकॉर्ड डेट का ऐलान नहीं किया है. डिविडेंड देने में कंपनी के 256 करोड़ रुपये खर्च होंगे. यह वित्त वर्ष 24 के लिए कंपनी की ओर से फाइनल डिविडेंड होगा. वहीं, सरकार के पास भी इस कंपनी में 62.4 फीसदी की हिस्सेदारी है.
बीते एक साल में IRCTC ने 67.71% रिटर्न दिया
रिजल्ट आने से पहले बीते में IRCTC 6 महीने में 54.60% और 1 साल में 67.71% का रिटर्न दिया है. जबकि, इस साल अब तक शेयर 21.43% चढ़ चुका है. हालांकि, बीते 5 कारोबारी दिनों में IRCTC के शेयर ने 4.25% का निगेटिव रिटर्न दिया है. इसके शेयर 14 अक्टूबर 2019 को बाजार में लिस्ट हुए थे. वित्त वर्ष 2024 की दूसरी तिमाही तक कंपनी में भारत सरकार के पास 62.4 फीसदी शेयर हैं, जबकि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों और घरेलू संस्थागत निवेशकों के पास 7.1 फीसदी और 10.5 फीसदी शेयर हैं. रेगुलर शेयरहोल्डर्स के पास 20 फीसदी शेयर हैं.